Sunday, May 9, 2021

Afghanistan- girls school bomb blast (American peace deal failed)

 अफगानिस्तान में अलगाववादी और कट्टरपंथीयो ने एक बार फिर अपनी नापाक हरकत को अंजाम दिया, और लड़कियों के एक स्कूल को निशाना बनाया। 


अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी इलाके में शनिवार को एक के बाद एक तीन धमाके हुए। लड़कियों को एक स्कूल के पास इस ब्लास्ट में कम से कम 25 जाने गई हैं। अफगान सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर लड़कियां ही हैं। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।


घटना के समय स्कूल की छुट्टी हुई थी। इसके बाद लड़कियां स्कूल से बाहर निकल रही थी। स्कूल के टीचर ने बताया कि पहले एक कार में धमाका हुआ फिर दो और धमाके हुए। यह भी बताया जा रहा है कि यह रात से किए गए हमले हैं।


भीड ने मेडिकल स्टाफ पर हमला किया -

इंटीरियर मिनिस्ट्री के प्रवक्ता तारीख एलियन ने कहा कि दाश्ते ए बरछी के सिया बहुसंख्यक इलाके में शायद ऑल शाहदरा स्कूल के पास विस्फोट हुआ। इसके बाद थोड़ी ही देर में मौके पर एंबुलेंस पहुंच गई।

वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता गुलाम दस्तगीर  नारजी ने कहा कि गुस्साई भीड़ ने एंबुलेंस पर हमला किया और मेडिकल स्टाफ को भी पीटा। इसके बाद उन्होंने लोगों से सहयोग करने और एंबुलेंस को जाने देने की अपील की।


एरियन और नाजरी दोनों ने कहा कि कम से कम 50 लोग घायल हो गए हैं इनमें से मरने वालों की संख्या 25 हो सकती है।

अमेरिकी फौज की वापसी से हालात बिगड़ने का डर:-

 20 साल के लंबे और महंगे युद्ध के बाद अमेरिका की फौज अफगानिस्तान से अपने देश लौट रही है। अलकायदा के नाम पर हमले के बाद 2000 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में सेना उतरी थी । इस युद्ध में अमेरिका ने अपने 2400 को खो दिया अब देश की सुरक्षा अफगान बलों के पास है। ऐसे में देश में फिर हालात खराब होने का डर सताने लगा है ।लोग फिर से तालिबान के राज वाले दिनों के लौटने की आशंका से सहमे हुए हैं।


तालिबान अब भी है सक्रिय-:

अफगानिस्तान में अभी अफगानी तालिबान और पाकिस्तानी तालिबान सक्रिय है इसके साथ ही सीरिया का आईएसआईएस हक्कानी संगठन भी पाकिस्तान संरक्षित तालिबान जैसे संगठनों को मदद करता है। हालांकि तालिबान अब कमजोर हो गया है फिर भी अब भी अफगानिस्तान की 60% जमीन पर उसका प्रभाव है। इसी के चलते स्थानीय लोगों में अमेरिकी बलों के जाने के बाद तालिबानी संगठनों के सक्रिय हो जाने का डर है।