Wednesday, May 12, 2021

DRDO ने बनाई corona की रामबाण दवाई (2DG)

 करोना से जारी लड़ाई के खिलाफ एक राहत भरी खबर आई है। और यह खबर देने वाली संस्था का नाम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन है वैसे तो DRDO इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के लिए वेपन बनाती है लेकिन देश में बढ़ रहे करोना महामारी को ध्यान में रखते हुए DRDO के वैज्ञानिकों ने पहली लहर के दौरान से ही कोरोना की दवाई का काम शुरू कर दिया था जिसके फल से रोग बीते शनिवार को ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया डीसीजीआई ने  (2-DG) दवा से कोरोना के इलाज को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है ।कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए यह एक वैकल्पिक इलाज होगा। जिन मरीजों पर इन दवा का इस्तेमाल किया गया उनके rt-pcr रिपोर्ट नेगेटिव आई।


यह दवा करो ना मरजानी संक्रमण की ग्रोथ रोककर  उन्हें तेजी से रिकवर करने में मदद करती है। 2dg दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन डीआरडीओ की लैब इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने doctor Reddy लेबोरेटरी की मदद से तैयार किया है। शुरुआती ट्रायल में पता चला है कि इससे मरीज की ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार होता है।


17 हॉस्पिटल में 110 मरीजों पर सेट कर दो इसका ट्रायल हुआ था:-

∆ DGCI में मैं 2020 में कोरोना मरीजों पर दो डीजे का दूसरे फेज का क्लिनिकल ट्रायल किया था।

∆ अक्टूबर 2020 तक चले इस ट्रायल में तवा 2dg को सुरक्षित पाया गया । इससे करोना मरीजों को तेजी से रिकवर होने में मदद मिली।


∆फेज 2 ट्रायल  A और बB फिर किया गया। इसमें 110 कोरोना मरीजों को शामिल किया गया । फेज 2A में 6 अस्पतालों के मरीज शामिल थे, जबकि फेस 2B में 11 हॉस्पिटल के मरीज शामिल हुए ।


220 मरीजों पर किया 3rd फेज का ट्रायल:-


दिसंबर 2020 में मार्च 2021 तक 220 कोरोना मरीजों पर तीसरे फेज का ट्रायल किया गया। यह ट्रायल दिल्ली, उत्तर प्रदेश ,पश्चिम बंगाल, गुजरात ,कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 हॉस्पिटल में किया गया। ट्रायल के दौरान 3 दिन मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता 42% से घटकर 30% हो गई। खास बात यह है कि 65 साल से ज्यादा उम्र के बीमार मरीजों पर भी दवा का पॉजिटिव रिस्पांस दिखा।


ढाई दिन पहले हो गए मरीज ठीक:-


अप्रैल 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान IN MAS - DRDO के वैज्ञानिकों ने हैदराबाद से सेल्यूलर एंड मॉलेक्युलर बायोलॉजी(ccmb) की मदद से 2- DG को लैब में टेस्ट किया स्टैंडर्ड ऑफ केस (SOC) मानक से तुलना करें तो दवा लेने के बाद मरीज दूसरी मरीजों से ढाई दिन पहले ठीक हो गए ।


पानी में घोल कर दी जाती है दवा:-


दवा पाउडर के रूप में घोलकर मरीजों को पिलाना होता है ।यह दवा सीधे कोशिकाओं तक पहुंचती है जहां संक्रमण होता है और वायरस को बढ़ने से रोक देता है । लैब टेस्टिंग में पता चला कि ये कोरोना वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी है । DRDO ने बयान जारी कर कहा है कि इसका उत्पादन भारी मात्रा में आसानी से किया जा सकता है।